पंचवर्षीय योजना क्या है, उद्देश्य एवं अन्य सभी जानकारी, 1-13 Five Year Plans India


Panchvarshiya Yojana:- हर पाँच साल के लिए केंद्र सरकार द्वारा देश के आर्थिक एवं समाजिक विकास के लिए पंचवर्षीय योजना का शुभारम्भ किया जाता है। यह Five Year Plans केंद्रीकृत और एकीकृत राष्ट्रीय आर्थिक कार्यक्रम है। जिसके अंतर्गत समाज में लोगो के लिए नए नए बदलाव किये जा सके। केंद्र सरकार के द्वारा अब तक इस 13 पंचवर्षीय योजनाएं लागु की जा चुकी है। इस योजना के माध्यम से देश में कृषि विकास रोज़गार के अवसर प्रदान करना मानवीय, व भौतिक ससाधनो का उपयोग करके उत्पादकों को बढ़ावा देना है। यदि आप पंचवर्षीय योजना से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करना चाहते है। तो आज हम आपको पंचवर्षीय योजना से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी प्रदान करने जा रहे है। तो सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे आर्टिकल पर अंत तक बने रहे।


Panchvarshiya Yojana 2023

Panchvarshiya Yojana 2023

भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था के निर्माण और विकास को प्राप्त करने के लिए स्वतंत्रता के बाद पंचवर्षीय योजनाओं का शुभारम्भ किया है । पहली पंचवर्षीय योजना वर्ष 1951 में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने शुरू की थी। वर्ष 1951 से 2017 तक भारतीय अर्थव्यवस्था का मॉडल पंचवर्षीय योजनाओं पर आधारित नियोजन की अवधारणा पर आधारित था। पंचवर्षीय योजनाओं को तैयार करने, कार्यान्वित करने तथा विनियमित करने का कार्य योजना आयोग नामक संस्था द्वारा किया गया। लेकिन अब ये जिम्मेदारी नीति आयोग की होगी।

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पंचवर्षीय योजना के बारे में जानकारी

योजना का नामPanchvarshiya Yojana
आरम्भ की गईभारत सरकार द्वारा
लाभार्थीभारत के नागरिक
उद्देश्यदेश का विकास करना
साल2023
आधिकारिक वेबसाइटhttps://www.niti.gov.in/

Panchvarshiya Yojana का उद्देश्य

पंचवर्षीय योजनाओं का मुख्य उद्देश्य विकास दर में वृद्धि करना है। इन योजनाओं के माध्यम से निवेश को भी बढ़ाया जाता है। इसके साथ ही, पंचवर्षीय योजनाओं में सामाजिक न्याय, गरीबी हटाने, पूर्ण रोजगार, आधुनिकीकरण आदि का भी ध्यान रखा जाता है। हमारे देश में अब तक 13 योजनाएं लागू की गई हैं। जिसके माध्यम से सरकार द्वारा कुछ उद्देश्य निर्धारित किए गए हैं और फिर उस उद्देश्य पर काम किया गया है। इन 5-वर्षीय योजनाओं के माध्यम से देश की आर्थिक स्थिति में भी बहुत सुधार हुआ है।

प्रथम पंचवर्षीय योजना (1951-56)

पहली Panchvarshiya Yojana वर्ष 1951 में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने शुरू की थी, जिसका कार्यकाल  वर्ष 1956 तक चला। प्रथम पंचवर्षीय योजना ने भारत में आर्थिक विकास पर ज़ोर दिया। 1956 के अंत तक, पाँच भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान स्थापित किये गए। इस योजना की लक्षित वृद्धि दर 2.1% जबकि प्राप्त विकास दर 3.6% थी।

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द्वितीय पंचवर्षीय योजना (1956-61)

इस Panchvarshiya Yojana का कार्यकाल 1956 से 1961 तक रहा। दूसरी पंचवर्षीय योजना ने तीव्र औद्योगीकरण और सार्वजनिक क्षेत्र पर बल दिया। इस योजना के तहत सरकार ने घरेलू उद्योगों की रक्षा के लिये आयात पर शुल्क अधिरोपित किया। इस योजना की लक्षित वृद्धि दर 4.5% थी जबकि वास्तविक विकास दर अपेक्षा से थोड़ी कम (4.27%) थी।

तृतीय पंचवर्षीय योजना (1961-66)

इस Panchvarshiya Yojana का कार्यकाल 1961 से 1966 तक रहा। तृतीय पंचवर्षीय योजना में कृषि और गेहूँ के उत्पादन में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया गया। तृतीय पंचवर्षीय योजना का उद्देश्य अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाना तथा विदेशो में भी निर्यात करना। इस योजना के अंतर्गत ही नए उद्योग का विस्तार किया गया जैसे की सीमेंट, रासयनिक खाद्य आदि की व्यवस्था की गयी। इस योजना की लक्षित वृद्धि दर 5.6% थी जबकि वास्तविक विकास दर केवल 2.4% ही रही। इसने तीसरी योजना की विफलता का संकेत दिया और सरकार को “योजना अवकाश” (1966-67, 1967-68, और 1968-69) की घोषणा करनी पड़ी। चीन-भारत युद्ध और भारत-पाक युद्ध योजना अवकाश के प्राथमिक कारणों में शामिल थे, जिनके कारण तीसरी पंचवर्षीय योजना विफल हुई थी।

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चतुर्थ पंचवर्षीय योजना (1969-74)

इस Panchvarshiya Yojana प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल के दौरान पेश किया गया था तथा इसके माध्यम से पिछली विफलताओं में सुधार करने का प्रयास किया गया। इस योजना को वर्ष 1969 में शुरू किया गया था। इस योजना का कार्यकाल 1969 से 1974 तक रहा। चौथी पंचवर्षीय योजना के तहत, प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की सरकार ने 14 प्रमुख भारतीय बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया और हरित क्रांति द्वारा कृषि उन्नत को बढ़ावा मिला । इंदिरा गांधी ने 1971 के चुनावों के समय ‘गरीबी हटाओ’ का नारा दिया था। औद्योगिक विकास के लिए निर्धारित धनराशि, युद्ध के प्रयास के लिए भेजी गई थी। तथा सूखा संभावित क्षेत्र कार्यक्रम (Drought Prone Area Programme) भी शुरू किया गया। इस योजना की लक्षित वृद्धि दर 5.6% थी जबकि वास्तविक विकास दर 3.6% थी।

पांचवी पंचवर्षीय योजना (1974 – 1979 )

इस Panchvarshiya Yojana ने रोज़गार बढ़ाने और गरीबी उन्मूलन (गरीबी हटाओ) पर ज़ोर दिया। वर्ष 1975 में, विद्युत आपूर्ति अधिनियम में संशोधन किया गया, जिससे केंद्र सरकार बिजली उत्पादन और पारेषण के क्षेत्र में प्रवेश कर सकी। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्रणाली की शुरुआत की गई थी। इस योजना के पहले वर्ष में शुरू किया गया न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम (Minimum Needs Programme-MNP), जिसका उद्देश्य बुनियादी न्यूनतम आवश्यकताएँ प्रदान करना था। MNP को डी.पी. धर द्वारा तैयार किया गया था। इस योजना की लक्षित विकास दर 4.4% और वास्तविक विकास दर 4.8% थी।

छठी पंचवर्षीय योजना (1980-85)

इस Panchvarshiya Yojana का कार्यकाल सन 1980 से सन 1985 तक रहा। छठी पंचवर्षीय योजना पहली बार जनता पार्टी (1978-1983 की अवधि), “अनवरत योजना” द्वारा तैयार की गई। लेकिन 1980 में इंदिरा गांधी की नई सरकार के गठन के बाद, 6th Five Year Plan को समाप्त कर दिया गया और नई छठी पंचवर्षीय योजना (1980-1985) शुरू की गई। योजना ने देश में गरीबी को खत्म करने और रोजगार प्राप्त करने की आवश्यकता पर जोर दिया। देश से गरीबी उन्मूलन और आर्थिक विकास, आधुनिकीकरण और सामाजिक न्याय स्थापित करना इस योजना  लक्ष्य में शामिल किया गया था। इस योजना की लक्षित विकास दर 5.2% और वास्तविक विकास दर 5.7% थी, जिसका अर्थ है कि यह पंचवर्षीय योजना सफल रही।

सातवीं पंचवर्षीय योजना (1985-90)

यह Panchvarshiya Yojana प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान प्रस्तुत की गई। इसने प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से औद्योगिक उत्पादकता के स्तर में सुधार पर ज़ोर दिया।  सातवीं पंचवर्षीय योजना में इंदिरा आवास योजना, इंदिरा आवास योजना (1985-86), जवाहर रोजगार योजना (1989) और नेहरू रोजगार योजना (1989) लागू की गईं। 7 वीं योजना समाजवाद और बड़े पैमाने पर ऊर्जा उत्पादन की ओर लक्षित थी। इस योजना की लक्षित वृद्धि दर 5.0% थी जबकि वास्तविक विकास दर 6.01% रही।  

वार्षिक योजनाएँ (1990-92)

आठवीं पंचवर्षीय योजना वर्ष 1990 में शुरू नहीं की गई थी और बाद के वर्षों 1990-91 और 1991-92 को वार्षिक योजना के रूप में माना गया था। इसका कारण काफी हद तक आर्थिक अस्थिरता थी। भारत को इस दौरान विदेशी मुद्रा भंडार के संकट का सामना करना पड़ा। प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव के नेतृत्व में अर्थव्यवस्था की समस्या से निपटने के लिये भारत में उदारीकरण, निजीकरण, वैश्वीकरण (Liberalisation, Privatisation, Globalisation- LPG) की शुरुआत की गई थी।

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आठवीं पंचवर्षीय योजना (1992-97)

इस Panchvarshiya Yojana ने उद्योगों के आधुनिकीकरण को बढ़ावा दिया। 1 जनवरी, 1995 को भारत विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation- WTO) का सदस्य बना। इसका लक्ष्य जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना, गरीबी कम करना, रोज़गार सृजन, बुनियादी ढाँचे के विकास को मज़बूत करना, पर्यटन का प्रबंधन करना, मानव संसाधन विकास पर ध्यान केंद्रित करना आदि थे। इसने विकेंद्रीकरण के माध्यम से पंचायतों और नगर पालिकाओं को शामिल करने पर भी ज़ोर दिया। इस योजना की लक्षित वृद्धि दर 5.6% थी लेकिन वास्तविक विकास दर अविश्वसनीय रूप से 6.8% रही।

नौवीं पंचवर्षीय योजना (1997-2002)

इस Panchvarshiya Yojana का कार्यकाल वर्ष 1997 से वर्ष 2002 तक चला। इसने स्वतंत्रता के बाद से भारत के पचास वर्षों को चिह्नित किया और अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री पद का नेतृत्व किया। इसने गरीबी के पूर्ण उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये सामाजिक क्षेत्रों हेतु समर्थन की पेशकश की और आर्थिक विकास सुनिश्चित करने के मामले में सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों ने संयुक्त रूप से प्रयास किया। तीव्र विकास और लोगों के जीवन की गुणवत्ता के बीच संबंधों को संतुलित करने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया। इसके अलावा, अन्य उद्देश्यों में सामाजिक रूप से वंचित वर्गों को सशक्त बनाना, आत्मनिर्भरता विकसित करना तथा देश में सभी बच्चों के लिये प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराना शामिल था। इस योजना की रणनीतियों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिये निर्यात की उच्च दर में वृद्धि करना तीव्र विकास के लिये दुर्लभ संसाधनों का कुशल उपयोग आदि शामिल थे। इस योजना की लक्षित विकास दर 7.1% अनुमानित की गई थी लेकिन इसकी वास्तविक विकास दर 6.8% रही।

दसवीं पंचवर्षीय योजना (2002-07)

इस Panchvarshiya Yojana के तहत, वर्ष 2007 तक गरीबी के अनुपात को 5 प्रतिशत तक कम करके, श्रम बल के अलावा, लाभकारी और उच्च गुणवत्ता वाली नौकरियां प्रदान की गईं। इस दसवीं पंचवर्षीय योजना के तहत, देश के उन क्षेत्रों में तेजी से विकास हुआ जहां रोजगार के अवसर उपलब्ध थे। इनमें कृषि, निर्माण, पर्यटन, लघु उद्योग, खुदरा, सूचना प्रौद्योगिकी और संचार से संबंधित सेवाएं शामिल हैं। इस योजना की लक्षित विकास दर 8.1% थी जबकि वास्तविक वृद्धि 7.6% रही।

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ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना (2007-2012)

यह Panchvarshiya Yojana 1 अप्रैल 2007 को शुरू की गई थी। 11 वीं पंचवर्षीय योजना का कार्यकाल 2007 से 31 मार्च 2012 तक चला था। इस योजना का मुख्य उद्देश्य तीव्र और समावेशी विकास था। राज्य के पंचवर्षीय योजनाओं का कुल बजट 71731.98 करोड़ रुपये, योजना आयोग द्वारा अनुमोदित किया गया। कृषि में 4%  की वृद्धि के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उद्द्योग और सेवाओं में प्रति वर्ष 9-11% की वृद्धि। ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी से नीचे रहने वाले लोगों के लिए बिजली तक पहुंची। ग्यारहवीं योजना उच्च शिक्षा में नामांकन बढ़ाने और दूरस्थ शिक्षा के साथ-साथ आईटी संस्थानों पर ध्यान केंद्रित करने के अपने उद्देश्य के साथ बहुत महत्त्वपूर्ण थी। उदाहरण: वर्ष 2009 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम प्रस्तुत किया गया जो कि वर्ष 2010 में लागू हुआ, इसने 6-14 वर्ष की आयु के बच्चों के लिये शिक्षा को निशुल्क और अनिवार्य कर दिया। इस योजना की लक्षित विकास दर 9% और वास्तविक विकास दर 8% थी।

बारहवीं पंचवर्षीय योजना (2012-17)

यह Panchvarshiya Yojana 01 अप्रैल, 2012 को शुरू की गई थी। इस योजना के तहत, योजना आयोग ने 12 वीं पंचवर्षीय योजना में 01 अप्रैल, 2012 से 31 मार्च, 2017 तक 10 प्रतिशत वार्षिक आर्थिक वृद्धि प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है। वैश्विक आर्थिक संकट का भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ा। बाहरवीं पंचवर्षीय योजनाओं के तहत, आर्थिक क्षेत्र में कृषि, उद्योग, ऊर्जा, परिवहन, संचार, ग्रामीण विकास और शहरी विकास और सामाजिक क्षेत्र में स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार और कौशल विकास, महिला एजेंसी, बाल अधिकार और सामाजिक समावेश शामिल थे। 12 वीं पंचवर्षीय योजनाओं की वार्षिक वृद्धि दर के आंकड़े 8.2 प्रतिशत रखे गए।

तेहरवी पंचवर्षीय योजना (2017 – 2022 )

यह Panchvarshiya Yojana वर्ष 2017 से 2022 तक लॉन्च की जाएगी। 13th Five Year Plan के तहत संसाधनों की पुस्तकों, क्लास रूम आदि की मरम्मत की जाएगी और रेमेडियल क्लासेस के तहत, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के कमजोर विद्यार्थियों को अलग से स्पेशल क्लासेज दी जाएगी। राष्ट्रीय और राज्य स्तर की पात्रता परीक्षा, सिविल सेवाओं और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों को मार्गदर्शन दिया जाएगा। विषय विशेषज्ञों को बुलाया जाएगा। करियर काउंसलिंग के लिए अलग से बजट भी उपलब्ध होगा।

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Panchvarshiya Yojana के लाभ तथा विशेषताएं

  • हर पाँच साल के लिए केंद्र सरकार द्वारा देश के आर्थिक एवं समाजिक विकास के लिए पंचवर्षीय योजना का शुभारम्भ किया जाता है।
  • केंद्र सरकार के द्वारा अब तक इस 13 पंचवर्षीय योजनाएं लागु की जा चुकी है।
  • पहली पंचवर्षीय योजना वर्ष 1951 में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने शुरू की थी।
  • इस योजना के माध्यम से देश में कृषि विकास रोज़गार के अवसर प्रदान करना मानवीय, व भौतिक ससाधनो का उपयोग करके उत्पादकों को बढ़ावा देना है।
  • पंचवर्षीय योजनाओं में सामाजिक न्याय, गरीबी हटाने, पूर्ण रोजगार, आधुनिकीकरण आदि का भी ध्यान रखा जाता है।
  • इन 5-वर्षीय योजनाओं के माध्यम से देश की आर्थिक स्थिति में भी बहुत सुधार हुआ है।
  • इस योजना के माध्यम से सरकार द्वारा कुछ उद्देश्य निर्धारित किए गए हैं और फिर उस उद्देश्य पर काम किया गया है।
  • इन योजनाओं के माध्यम से उत्पादन में वृद्धि, संसाधनों का उचित आवंटन तथा हर किसी को रोजगार का अवसर प्रदान करना भी है।